Rashtrapati Ki Aapatkalin Shaktiyon Ka Varnan Karen:- भारत के राष्ट्रपति को संविधान द्वारा कई आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई हैं। इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए कर सकता है।

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के प्रकार (Rashtrapati Ki Aapatkalin Shaktiyon Ka Varnan Karen)
भारत में चार प्रकार के आपातकाल घोषित किए जा सकते हैं:
- साधारण आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 353)
- राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356)
- विशेषाधिकार आपातकाल (अनुच्छेद 359)
1. साधारण आपातकाल (अनुच्छेद 352):
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, राष्ट्रपति युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण देश की सुरक्षा या संप्रभुता को खतरा होने पर साधारण आपातकाल घोषित कर सकता है। इस स्थिति में, राष्ट्रपति को राज्यों के प्रशासन को नियंत्रित करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
साधारण आपातकाल की घोषणा के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
- युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण देश की सुरक्षा या संप्रभुता को खतरा होना चाहिए।
- राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की लिखित सलाह पर ही आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है।
- आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए।
साधारण आपातकाल की घोषणा के बाद, राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं:
- वह राज्यों के प्रशासन को नियंत्रित कर सकता है।
- वह राज्यों के विधायी और कार्यकारी अधिकारों को केंद्र सरकार को स्थानांतरित कर सकता है।
- वह राज्यों के विधानमंडलों को भंग कर सकता है।
- वह राज्यों के मंत्रिमंडलों को बर्खास्त कर सकता है।
- वह केंद्र सरकार को राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना तैनात करने का आदेश दे सकता है।
साधारण आपातकाल की घोषणा की अवधि छह महीने तक की होती है, जिसे संसद की मंजूरी से छह महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
साधारण आपातकाल की घोषणा के कुछ उदाहरण हैं:
- 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान
- 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान
- 1975 में इमरजेंसी के दौरान
सामान्य आपातकाल की घोषणा एक गंभीर कदम है, जिसका उपयोग केवल देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए।
2. वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 353):
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 353 के तहत, राष्ट्रपति देश की वित्तीय स्थिति को खतरा होने पर वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकता है। इस स्थिति में, राष्ट्रपति को धन विधेयक को संसद के पास भेजने से रोकने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
वित्तीय आपातकाल की घोषणा के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
- देश की वित्तीय स्थिति को खतरा होना चाहिए।
- राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की लिखित सलाह पर ही आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है।
- आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए।
वित्तीय आपातकाल की घोषणा के बाद, राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं:
- वह धन विधेयक को संसद के पास भेजने से रोक सकता है।
- वह राज्यों के वित्तीय मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है।
- वह केंद्र सरकार को राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का आदेश दे सकता है।
वित्तीय आपातकाल की घोषणा की अवधि छह महीने तक की होती है, जिसे संसद की मंजूरी से छह महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
वित्तीय आपातकाल की घोषणा के कुछ उदाहरण हैं:
- 1975 में इमरजेंसी के दौरान
- 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान
वित्तीय आपातकाल की घोषणा एक गंभीर कदम है, जिसका उपयोग केवल देश की वित्तीय स्थिति को खतरे से बचाने के लिए किया जाना चाहिए।
वित्तीय आपातकाल की घोषणा के कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- केंद्र सरकार को राज्यों के वित्तीय मामलों में अधिक नियंत्रण मिल जाता है।
- राज्यों को केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में आसानी होती है।
- केंद्र सरकार को देश की वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के लिए नीतिगत उपाय करने में आसानी होती है।
हालांकि, वित्तीय आपातकाल की घोषणा की कुछ सीमाएं भी हैं। उदाहरण के लिए, यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगा सकती है।
3. राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356):
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, राष्ट्रपति किसी राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर राज्य आपातकाल घोषित कर सकता है। इस स्थिति में, राष्ट्रपति राज्य सरकार को बर्खास्त कर सकता है और केंद्र सरकार राज्य की सरकार को चला सकती है।
राज्य आपातकाल की घोषणा के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
- राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़नी चाहिए।
- राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर, राष्ट्रपति को यह विश्वास होना चाहिए कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम नहीं कर रही है।
- आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए।
राज्य आपातकाल की घोषणा के बाद, राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं:
- वह राज्य सरकार को बर्खास्त कर सकता है।
- वह राज्यपाल को राज्य सरकार का कार्यभार सौंप सकता है।
- वह राज्य की विधानसभा को भंग कर सकता है।
- वह केंद्र सरकार को राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना तैनात करने का आदेश दे सकता है।
राज्य आपातकाल की घोषणा की अवधि छह महीने तक की होती है, जिसे संसद की मंजूरी से छह महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
राज्य आपातकाल की घोषणा के कुछ उदाहरण हैं:
- 1967 में केरल में
- 1979 में बिहार में
- 1993 में असम में
राज्य आपातकाल की घोषणा एक गंभीर कदम है, जिसका उपयोग केवल राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए किया जाना चाहिए।
राज्य आपातकाल की घोषणा के कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- केंद्र सरकार को राज्य सरकार के कार्यों पर नियंत्रण मिल जाता है।
- केंद्र सरकार को राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिक प्रभावी उपाय करने में आसानी होती है।
- राज्य सरकार को केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
हालांकि, राज्य आपातकाल की घोषणा की कुछ सीमाएं भी हैं। उदाहरण के लिए, यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगा सकती है।
राज्य आपातकाल की घोषणा के बाद, राज्य सरकार को राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर बहाल किया जा सकता है। राज्यपाल को यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम कर रही है।
4. विशेषाधिकार आपातकाल (अनुच्छेद 359):
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 359 के तहत, राष्ट्रपति किसी विशिष्ट क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को निलंबित करने के लिए विशेषाधिकार आपातकाल घोषित कर सकता है। इस स्थिति में, संबंधित क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए अदालतों को अधिकार नहीं होगा।
विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
- राष्ट्रपति को यह विश्वास होना चाहिए कि किसी विशिष्ट क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को लागू करने से देश की सुरक्षा या संप्रभुता को खतरा हो सकता है।
- आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए।
विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा के बाद, राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं:
- वह किसी विशिष्ट क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को निलंबित कर सकता है।
- वह संबंधित क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए अदालतों को अधिकार नहीं दे सकता है।
विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा की अवधि छह महीने तक की होती है, जिसे संसद की मंजूरी से छह महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा के कुछ उदाहरण हैं:
- 1975 में इमरजेंसी के दौरान
- 1984 में पंजाब में
- 2019 में जम्मू और कश्मीर में
विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा एक गंभीर कदम है, जिसका उपयोग केवल देश की सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे से बचाने के लिए किया जाना चाहिए।
विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा के कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- संबंधित क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया जाता है।
- संबंधित क्षेत्र में अदालतों को मौलिक अधिकारों को लागू करने का अधिकार नहीं होता है।
- केंद्र सरकार को संबंधित क्षेत्र में अधिक अधिकार मिल जाते हैं।
हालांकि, विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा की कुछ सीमाएं भी हैं। उदाहरण के लिए, यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करती है।
विशेषाधिकार आपातकाल की घोषणा के बाद, मौलिक अधिकारों को बहाल किया जा सकता है। ऐसा तब किया जा सकता है जब राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि संबंधित क्षेत्र में देश की सुरक्षा या संप्रभुता को कोई खतरा नहीं है।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग
आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग एक गंभीर कदम है, जिसका उपयोग केवल देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए। इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति को कुछ सीमाओं के अधीन ही करना होता है। इन सीमाओं को संविधान में निर्धारित किया गया है।
आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करने से पहले राष्ट्रपति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- आपातकालीन स्थिति वास्तव में मौजूद है या नहीं।
- आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग केवल देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए किया जा रहा है या नहीं।
- आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग किसी व्यक्ति या समूह के अधिकारों को दबाने के लिए नहीं किया जा रहा है।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करने के बाद राष्ट्रपति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- आपातकालीन स्थिति समाप्त होने के बाद, आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग बंद कर दिया जाना चाहिए।
- यदि आपातकालीन स्थिति लंबे समय तक जारी रहती है, तो इसका कारण और इसका समाधान खोजने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
भारत के इतिहास में चार बार आपातकाल की घोषणा की गई है। पहली बार 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान, दूसरी बार 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, तीसरी बार 1975 में और चौथी बार 2019 में जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद की गई थी।
1975 में घोषित आपातकाल को सबसे विवादास्पद माना जाता है। इस आपातकाल के दौरान, नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था और राजनीतिक विरोध को दबा दिया गया था।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की सीमाएं
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति को कुछ सीमाओं के अधीन ही करना होता है। इन सीमाओं को संविधान में निर्धारित किया गया है।
- राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग केवल देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए करना चाहिए।
- राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग किसी व्यक्ति या समूह के अधिकारों को दबाने के लिए नहीं करना चाहिए।
- आपातकालीन स्थिति समाप्त होने के बाद, राष्ट्रपति को इन शक्तियों का प्रयोग करना बंद कर देना चाहिए।
निष्कर्ष
भारत के राष्ट्रपति को संविधान द्वारा आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई हैं। इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए कर सकता है। हालांकि, इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति को कुछ सीमाओं के अधीन ही करना होता है।
FAQs.
Q. भारत के राष्ट्रपति को संविधान द्वारा कौन-कौन सी आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई हैं?
भारत के राष्ट्रपति को संविधान द्वारा चार प्रकार की आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई हैं:
साधारण आपातकाल (अनुच्छेद 352)
वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 353)
राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356)
विशेषाधिकार आपातकाल (अनुच्छेद 359)
Q. राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कब कर सकता है?
राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा निम्नलिखित परिस्थितियों में कर सकता है:
1. सामान्य आपातकाल (अनुच्छेद 352): युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण देश की सुरक्षा या संप्रभुता को खतरा होने पर राष्ट्रपति साधारण आपातकाल घोषित कर सकता है।
2. वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 353): देश की वित्तीय स्थिति को खतरा होने पर राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकता है।
3. राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356): किसी राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर राष्ट्रपति राज्य आपातकाल घोषित कर सकता है।
4. विशेषाधिकार आपातकाल (अनुच्छेद 359): किसी विशिष्ट क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को निलंबित करने के लिए राष्ट्रपति विशेषाधिकार आपातकाल घोषित कर सकता है।
Q. राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कैसे करता है?
राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा एक राजपत्र में प्रकाशित करके करता है। इस घोषणा में आपातकाल की घोषणा का कारण और समयावधि का उल्लेख किया जाता है।
Q. राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की सीमाएं क्या हैं?
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की सीमाएं निम्नलिखित हैं:
1. राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग केवल देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए करना चाहिए।
2. राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग किसी व्यक्ति या समूह के अधिकारों को दबाने के लिए नहीं करना चाहिए।
3. आपातकालीन स्थिति समाप्त होने के बाद, राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए।
Q. भारत के इतिहास में कितनी बार आपातकाल की घोषणा की गई है?
भारत के इतिहास में चार बार आपातकाल की घोषणा की गई है:
1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान
1975 में
2019 में जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद
Q. 1975 में घोषित आपातकाल को सबसे विवादास्पद क्यों माना जाता है?
1975 में घोषित आपातकाल को सबसे विवादास्पद इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था और राजनीतिक विरोध को दबा दिया गया था।
यह भी पढ़ें:-
- वसुधैव कुटुम्बकम् पर निबंध हिन्दी में
- विश्व पटल पर उभरता भारत निबंध 2023
- Indian History Objective Questions in Hindi
- 100 + Samanya Gyan Question and Answer In Hindi 2023