कभी गौर किया है कि हिंदी भाषा इतनी मधुर क्यों लगती है? इसका एक राज़ है स्वर संधि! आइए जानें स्वर संधि के भेदों को आसान शब्दों में, ताकि आप भी लिखते और बोलते समय भाषा की खूबसूरती बढ़ा सकें! (Swar Sandhi ke Bhed Ka Sadharan Ullekh Karen)
Swar Sandhi ke Bhed क्या हैं?
हिंदी भाषा की तो बात ही निराली है! शेक्सपियर ने इसे “प्रेम और कविता की भाषा” कहा था। मगर इस खूबसूरती के पीछे व्याकरण (Vyakaran) का भी तो बड़ा हाथ है! आज हम उसी व्याकरण के एक अनोखे पहलू, स्वर संधि (Swar Sandhi) के बारे में बात करने वाले हैं।
अरे नहीं घबराइए! ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है. स्वर संधि तो दरअसल भाषा की वो जादू है जो सुनने में अच्छी लगती है और लिखने में भी आसान हो जाती है. तो चलिए, थोड़ा गौर से देखें कि आखिर ये “स्वर संधि के भेद (Swar Sandhi ke Bhed)” हैं क्या?
स्वर संधि के भेद: उदाहरण सहित (Swar Sandhi ke Bhed With Example)
संक्षेप में कहें तो, स्वर संधि दो स्वरों के मिलने से होने वाले बदलाव को कहते हैं. मान लीजिए, आप “पहाड़ + आलय” कह रहे हैं। यहां अकार (a) के बाद आ (aa) आने से मिलकर एक नया स्वर “आलय (aalay)” बन जाता है। यही है स्वर संधि का कमाल!
अब बात आती है स्वर संधि के भेदों (Swar Sandhi ke Bhed) की। हिंदी व्याकरण में मुख्य रूप से पाँच प्रकार की स्वर संधियाँ होती हैं:
दीर्घ संधि (Dirgha Sandhi)
इसमें दो स्वर मिलकर एक लंबा स्वर बन जाते हैं। उदाहरण के लिए:
- ज्ञान + ईश्वर = ज्ञानेश्वर (gyan + Eeshwar = Gyaneshwar)
- दुःख + अंत = दुःखांत (Dukh + Ant = Dukkhaant)
गुण संधि (Gun Sandhi)
यहाँ पहला स्वर (a, i, u) बदलकर गुण (aa, ai, au) बन जाता है। जरा गौर से पढ़िए:
- राम + अयोध्या = रामायण (Ram + Ayodhya = Ramayan)
- गंगा + किनारा = गंगाकिनारा (Ganga + Kinara = Gangakinara)
वृद्धि संधि (Vridhi Sandhi)
इसमें पहले वाले स्वर (a, i, u) के स्थान पर वृद्धि (aa, e, o) हो जाती है। थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन ये भी आसान है!
- पिता + ऋण = पितृऋण (Pita + Rin = Pitru Rin)
- धन + ईश्वर = धनैश्वर (Dhan + Eeshwar = Dhaneshwar)
यण संधि (Yan Sandhi)
जब “अ” (a) के बाद “इ” (i) या “उ” (u) आता है, तो वो बदलकर “य” (y) हो जाता है। देखते हैं कुछ उदाहरण:
- अनु + इच्छा = अनिच्छा (Anu + Ichchha = Anichchha)
- स्व + ईक्षा = स्वीक्षा (Swa + Eeksha = Sweeksha)
अयादि संधि (Ayadi Sandhi)
इसमें कई नियम होते हैं, जिनमें कुछ स्वरों का लोप हो जाता है या उनका रूप बदल जाता है। ये थोड़ा जटिल है, लेकिन अभ्यास से आसान हो जाता है।
- राजा + इंद्र = राजेन्द्र
- पाप + आत्मा = पापात्
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