कविता की भाषा में चमत्कार पैदा करना कवियों का मूल उद्देश्य होता है. इसके लिए वे अलंकारों का सहारा लेते हैं। अलंकार भाषा को न सिर्फ सजाते हैं, बल्कि उसमें गहराई और प्रभाव भी लाते हैं। आज हम चर्चा करेंगे यमक अलंकार की, जो अपनी चतुराई के लिए जाना जाता है।
यमक अलंकार क्या है?
काव्य में अलंकारों का प्रयोग भाषा को अलंकृत करने और उसमें सौंदर्य लाने के लिए किया जाता है। उसी तरह यमक अलंकार भी एक विशेष अलंकार है।
- काव्य में महत्व: कविता को सिर्फ शब्दों का जाल न बनाकर उसे भावपूर्ण और प्रभावी बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है। यमक अलंकार भी इसी उद्देश्य की पूर्ति करता है।
- यमक शब्द का अर्थ: यमक शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘यम’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है – जुड़ना।
- यमक अलंकार की परिभाषा: यमक अलंकार में एक ही शब्द की वाक्य में दो या दो से अधिक बार आवृत्ति होती है, लेकिन हर बार उस शब्द का अर्थ अलग-अलग होता है। यह दोहराव कविता में एक अलग ही छटा लाता है।
Yamak Alankar Ki Paribhasha Udaharan Sahit
“पात पे पात सरस,
राजा भोज भोजन करे।”
अर्थ:- यहाँ “पात” शब्द दो बार आया है। पहली बार इसका अर्थ पत्ते से है और दूसरी बार इसका अर्थ भोजन की थाली से है। इस तरह एक ही शब्द के दो अर्थों का प्रयोग यमक अलंकार की खूबसूरती है।
उत्तर:-. यमक अलंकार काव्य में एक ऐसा अलंकार है जिसमें एक ही शब्द का दोहराव होता है, लेकिन दोनों बार शब्द का अर्थ भिन्न होता है। यह दोहराव कविता में एक अलग ही चमत्कार पैदा करता है।
यमक अलंकार के भेद
यमक अलंकार के दो भेद हैं:
- अभंग पद यमक: जब एक ही शब्द दो बार बिना किसी परिवर्तन के आता है।
- सभंग पद यमक: जब एक ही शब्द दो बार थोड़े परिवर्तन के साथ आता है।
यमक अलंकार के उदाहरण:
अभंग पद यमक
“कनक-कनक ते सौ गुनी,
मादकता अधिकाय।” – रहीम
“राम नाम जपते रहो,
मिटे सब दुःख भय।” – तुलसीदास
सभंग पद यमक
“नैनन से नैन मिलाना,
प्यार का यह सिलसिला।”
“आजकल बाजार में,
हर चीज है महंगी।”
यमक अलंकार की विशेषताएं:
- यह कविता में एक अलग ही चमत्कार पैदा करता है।
- यह भाषा को सौंदर्य और प्रभाव प्रदान करता है।
- यह पाठकों का ध्यान आकर्षित करता है।
निष्कर्ष:
यमक अलंकार एक महत्वपूर्ण अलंकार है जो कविता में सौंदर्य और प्रभाव लाता है। यह पाठकों को आकर्षित करने और उन्हें भावविभोर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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