सिंधु घाटी सभ्यता Notes PDF | भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण पहलू

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प्रस्तावना:

सिंधु घाटी सभ्यता Notes PDF: भारत का इतिहास अपनी समृद्धि और प्रगति के सफर में कई महत्वपूर्ण सभ्यताओं का परिचय कराता है। इन सभ्यताओं में से एक महत्वपूर्ण सभ्यता है “सिंधु घाटी सभ्यता” जो भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों का पता पाकिस्तान के सिंधु घाटी क्षेत्र में मिला है और यह सभ्यता वृक्षारोहण सभ्यता के रूप में जानी जाती है। इस लेख में, हम सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से जानेंगे, उसकी महत्वपूर्ण विशेषताओं को छूने का प्रयास करेंगे और जानेंगे कि यह सभ्यता भारतीय सिविलाइजेशन के विकास में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सिंधु घाटी सभ्यता Notes PDF

सिंधु घाटी सभ्यता का परिचय: (सिंधु घाटी सभ्यता Notes PDF)

सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता या मोहेंजो-दारो सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, उसकी उत्पत्ति संभावना बीस हजार साल पहले, यानी करीब 3300 ईसा पूर्व के आस-पास हुई थी। इस सभ्यता का प्रमुख क्षेत्र सिंधु और यमुना नदियों के बीच स्थित था, जो आजकल पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान के भागों में आता है।

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज:

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज का क्रेडिट सर जॉन मार्शल को मिलता है, जिन्होंने 1920 में इस सभ्यता के खोज का प्रारंभ किया था। वे सिंधु और यमुना नदियों के किनारे क्षेत्र में इस सभ्यता के अवशेषों की खोज करते हुए नजर आए और इसे पहचान लिया।

सिंधु घाटी सभ्यता की भाषा और लिपि:

सिंधु घाटी सभ्यता की भाषा और लिपि के बारे में अब तक कुछ निश्चित नहीं है। हालांकि, सभ्यता के अवशेषों में मोहेंजो-दारो और हड़प्पा क्षेत्रों में लिखे गए अक्षरों के ढेर मिले हैं, जिन्हें “सिंधु-सरस्वती लिपि” के रूप में जाना जाता है। इस लिपि का उपयोग भाषा की अच्छी तरह से समझने में मदद करता है, लेकिन इसका अर्थ और व्याकरण अब तक स्पष्ट नहीं हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता के समृद्धि काल:

सिंधु घाटी सभ्यता की समृद्धि काल की अवधि लगभग 2500 से 1900 ईसा पूर्व तक थी। इस समय के दौरान, यह सभ्यता कई बड़े और प्रगतिशील शहरों का निर्माण कर चुकी थी, जैसे कि मोहेंजो-दारो, हारप्पा, लोथल, कालीबंगन, और डोलावीरा। इन शहरों में सड़कें, घर, और सार्वजनिक संरचनाएँ मिलती थीं, जो सभ्यता की समृद्धि का प्रतीक थीं।

सिंधु घाटी सभ्यता की स्थापना और शहरी जीवन:

सिंधु घाटी सभ्यता की स्थापना संभवत: इस सभ्यता के पहले निवासियों द्वारा की गई थी। इन निवासियों का आधार खेती-कृषि पर था और वे अपने खेतों में गेहूं, जौ, धान, बाजरा, और अन्य फसलें उगाते थे।

मोहेंजो-दारो और हड़प्पा, सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहर थे। इन शहरों में बड़े-बड़े घर, सार्वजनिक स्नानघर, समाजिक सभाओं के लिए स्थल, और सड़कें थीं। सभी घरों के आगे छोटे समृद्धि स्तर के सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिलते हैं, जिनमें सिर्फ एक ही कमरा होता था, जिसमें लोग रहते थे। इन घरों के आगे एक छोटी सी आवाज की टंकी भी होती थी, जिसमें पानी इकट्ठा किया जाता था।

सिंधु घाटी सभ्यता की जीवनशैली:

सिंधु घाटी सभ्यता की जीवनशैली में बहुत सारे महत्वपूर्ण पहलु हैं। इस सभ्यता के लोग अपने दैनिक जीवन में व्यापार, खेती, और शिकार के साथ साथ धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भी लगे रहते थे।

व्यापार:

सिंधु घाटी सभ्यता के लोग व्यापार के लिए प्रसिद्ध थे। इनके व्यापारिक संबंध दूर-दूर के शहरों और क्षेत्रों के साथ थे, जो सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

खेती: 

खेती इस सभ्यता के लोगों के लिए मुख्य आजीविका स्रोत थी। वे अनाज और दालों की खेती करते थे और अपने खेतों में जल संचयन के लिए कुएं और टंकियां बनाते थे।

धार्मिक और सामाजिक गतिविधियाँ: 

सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों को महत्वपूर्ण मानते थे। इनके पास प्रतिष्ठित देवताओं की मूर्तियां और यज्ञशालाएं थीं, जिनका उपयोग धार्मिक आयोजनों के लिए होता था। समाज के विभिन्न वर्गों के लोग अपनी सामाजिक स्थिति के अनुसार विशेष प्रकार के श्राद्ध का अनुसरण करते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता की कला और संस्कृति:

सिंधु घाटी सभ्यता की कला और संस्कृति का प्रमुख विशेषता था। इनके लोगों के द्वारा बनाए गए उपकरण, मूर्तियां, और संरचनाएं विशेष रूप से मोहेंजो-दारो और हारप्पा में पाई जाती हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोग सुन्दर गहनों का निर्माण करते थे और वे बाजारों में व्यापार के लिए बेचते थे। इनकी कला का प्रमुख प्रतिष्ठान मूर्ति निर्माण में था। वे शिल्पकला में माहिर थे और मूर्तियों को आकृति देने में सफल रहते थे।

व्यापार और वाणिज्य क्षेत्र में सिंधु घाटी सभ्यता के लोग छात्री तथा सीजेरो जैसी जानकार और मुहरत के आपूर्ति श्रेणियों का विकसन किया था, जिनमें उनके व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख हिस्सा था।

सिंधु घाटी सभ्यता की देवताएँ:

सिंधु घाटी सभ्यता की धार्मिक जीवनशैली में कई देवताएँ मानी जाती थीं। प्रमुख देवताओं में पशुपतिनाथ (शिव), माता शक्ति (दुर्गा), सूर्य देव, और पशुओं के पालक देवता बांधीन शिवानी (यमराज की पत्नी) शामिल थे। इन देवताओं की मूर्तियां मोहेंजो-दारो और हारप्पा के खुदाइ में मिली हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन:

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन और इसके अस्तित्व के बारे में कई थियोरियेस हैं, लेकिन यह अब भी एक रहस्य है। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

1. प्राकृतिक आपदाएँ: 

कुछ इतिहासकार मानते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के पीछे प्राकृतिक आपदाएँ जैसे कि सूखा, भूकंप, या बाढ़ की भरमार हो सकती हैं। यही आपदाएँ इस सभ्यता को अस्तित्व से मिटा सकती हैं।

2. आक्रमण: 

कुछ तथ्यों के अनुसार, सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों को आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किया गया हो सकता है।

3. आंखों में सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष: 

अधिकांश सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष गहरी मिट्टी के नीचे छिपे हुए हैं, जिसके कारण इनके खोजने में कठिनाइयाँ आती हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता का महत्व:

सिंधु घाटी सभ्यता भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण पहलु में से एक है, क्योंकि इसने भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित हैं:

1. शहरी जीवन: 

सिंधु घाटी सभ्यता ने शहरी जीवन की शुरुआत की और विकसित किया, जिससे बाद में भारतीय शहरों का विकास हुआ।

2. व्यापार:

 इस सभ्यता के लोग व्यापार के क्षेत्र में प्रगतिशील थे और व्यापारिक रूप से आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया।

3. संस्कृति और कला: 

सिंधु घाटी सभ्यता ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान किया।

4. धार्मिक जीवन: 

इस सभ्यता की धार्मिक जीवनशैली ने भारतीय धर्मों के विकास को प्रभावित किया और धार्मिक आयोजनों के आधार को दिलाया।

समापन:

सिंधु घाटी सभ्यता भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसने भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सभ्यता की समृद्धि, व्यापार, कला, और धार्मिक जीवन की शृंगारिकता और प्रगतिशीलता को प्रमोट किया और उसने भारतीय सभ्यता के मूल तत्वों को स्थापित किया। इसके अवशेष हमें इस सभ्यता के साहित्य, कला, और धार्मिक अधिकारीता की जीवंत प्रमाण मिलते हैं, जिससे हम अपने प्राचीन इतिहास के प्रति आभारी होते हैं।

FAQs:

1. प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता क्या है?

   उत्तर: प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता, भारतीय उपमहाद्वीप में हजारों साल पहले विकसित हुई एक प्राचीन सभ्यता थी।

2. सिंधु घाटी सभ्यता का स्थान कहाँ पर था?

   उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता का मुख्य स्थान पाकिस्तान और भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में था।

3. सिंधु घाटी सभ्यता का क्या समयकालिक है?

   उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता का लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक समयकालिक था।

4. किस भाषा में लिखित शृंगारिक पत्रके खोजे गए हैं सिंधु घाटी सभ्यता से?

   उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित शृंगारिक पत्रके संस्कृत में लिखे गए हैं।

5. सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कैसे जीते थे?

   उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कृषि, व्यापार, और पशुपालन के आधार पर जीते थे।

6. सिंधु घाटी सभ्यता की धर्मिक प्राथमिकताएँ क्या थीं?

   उत्तर: इस सभ्यता में पशुपति शिव जैसे देवताओं की पूजा की जाती थी, और यज्ञ और व्रत भी महत्वपूर्ण थे।

7. सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कैसे रहते थे?

   उत्तर: इन लोगों के लिए चुकाने के लिए बड़े सुंदर बड़े घर थे, जिनमें उनकी रोजमर्रा की जीवनशैली को दर्शाने वाले चित्र और स्थल थे।

8. सिंधु घाटी सभ्यता क्यों समाप्त हुई?

   उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता के समाप्त होने के पीछे कई कारण शामिल हैं, जैसे कि जलवायु परिवर्तन और अन्य समस्याएं।

9. सिंधु घाटी सभ्यता की उपयाणियों में क्या खास था?

   उत्तर: इस सभ्यता की उपयाणियों में मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के मोहरों की उपयाणियों में सबसे विशेष बात यह थी कि वह सूखा हुआ बक्सा था।

10. सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष कहाँ पाए जाते हैं?

    उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भारत के पाकिस्तान और भारत के कई हिस्सों में पाए जाते हैं, जैसे कि मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, और कालीबगन।

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