Disaster Management in Hindi PDF Notes 2023 | आपदा प्रबंधन क्या है (आपदा प्रबंधन PDF)

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Disaster Management in Hindi PDF: आपदा प्रबंधन एक प्रक्रिया है जिसमें सरकार, संगठन और समुदायों के संयोजन द्वारा विभिन्न प्रकार की आपदाओं से होने वाली हानि को न्यायसंगत रूप से प्रबंधित और कम किया जाता है। इसका उद्देश्य जीवन, संपत्ति और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। आपदा प्रबंधन में तीन मुख्य चरण होते हैं: पूर्वानुमान और तैयारी, प्रतिक्रिया और उत्तर, और पुनर्निर्माण और विकास।

नोट्सविवरण
अनुच्छेद नामDisaster Management in Hindi PDF
नोट्स का नामआपदा प्रबंधन
भाषाहिंदी
प्रकारहस्तलिखित नोट्स
आकार8 एमबी
पृष्ठों53 पेज
Disaster Management in Hindi PDF

Disaster Management in Hindi PDF (आपदा प्रबंधन क्या है)

Disaster Management PDF in Hindi (आपदा प्रबंधन)

आपदा प्रबंधन नियोजन, तैयारी, प्रतिक्रिया और आपदाओं से उबरने की प्रक्रिया है। आपदाएँ प्राकृतिक आपदाएँ या मानव निर्मित आपदाएँ हो सकती हैं । जैसे भूकंप, बाढ़, चक्रवात – प्राकृतिक आपदाएँ है तथा मानव निर्मित आपदाएँ जैसे परमाणु दुर्घटनाएँ, आतंकवादी हमले या औद्योगिक दुर्घटनाएँ है।

प्रभावी आपदा प्रबंधन में सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, समुदायों और व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों का समन्वित प्रयास शामिल है। आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए विषय की व्यापक समझ होना आवश्यक है। दृष्टि आईएएस आपदा प्रबंधन नोट्स आपदा प्रबंधन के सभी पहलुओं को एक संरचित और आसानी से समझने वाले तरीके से कवर करके सिविल सेवा परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के लिए एक उत्कृष्ट संसाधन प्रदान करते हैं।

  1. पूर्वानुमान और तैयारी: इस चरण में आपदा के संभावित प्रकारों और उनकी संभावनाओं का आकलन किया जाता है। यह आपदा प्रबंधन योजनाओं, अलर्ट सिस्टम, संगठन और उपकरणों की तैयारी, और लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम शामिल करता है।
  2. प्रतिक्रिया और उत्तर: इस चरण में, आपदा के समय व्यापक और संगठित प्रतिक्रिया का निर्माण होता है। यह आपदा चालाना, अस्थायी आपातकालीन सुविधाओं का स्थापना करना, संचार नेटवर्क सुदृढ़ करना, जनसंचार कार्यक्रम, राहत कार्यों का संचालन, और आपदा प्रबंधन के लिए स्थानीय संगठनों और जनता के सहयोग को सुनिश्चित करना शामिल हो सकता है।
  3. पुनर्निर्माण और विकास: इस चरण में, आपदा के बाद समुदायों को पुनर्निर्माण और विकास के लिए सहायता प्रदान की जाती है। यह आपदा के पश्चात संघर्ष को तत्काल सहायता, स्थाई आवास, रोजगार, संचार, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, और संगठन के विकास के माध्यम से समुदायों को सहायता प्रदान करता है।

आपदा प्रबंधन का उद्देश्य आपदा से होने वाले नुकसान को कम करना, जीवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, संपत्ति की हिफाजत करना, और पर्यावरण की संरक्षा करना है। इसके लिए, सरकार, संगठन और समुदायों को संयुक्त रूप से काम करना चाहिए और आपदा प्रबंधन योजनाएं और कार्रवाईयों को निरंतर अद्यतित रखना चाहिए।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन परिदृश्य (Disaster Management Meaning in Hindi)

भारत दक्षिण एशिया में स्थित एक ऐसा देश है जो अपने अंदर क्षेत्रीय विविधताओं को समेटे हुए हैं|  इसकी इसकी भौगोलिक अब स्थिति विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न आपदाओं द्वारा एक जटिल स्थिति पैदा करती है|  भारत का प्रायद्वीपीय भाग 3 समुद्र- अरब सागर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है,

वही उत्तर में यह हिमालय की उच्च पहाड़ियों से जुड़ा है भारत का अधिकांश हिस्सा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है जहां मौसमी वर्षा होती है इसकी जलवायु मानसून आधारित है यह मुख्य रूप से कृती आधारित देश है जहां एक बड़ी ग्रामीण आबादी कृषि पर निर्भर है|

यह दुनिया के सबसे अधिक आपदा प्रवण देशों में से एक है,जिसमें तूफान भूकंप भूस्खलन सुनामी बाढ़ और सूखा जैसी आपदाएं आती रहती है यदि हम भारत के उत्तरी क्षेत्र को देखते हैं जिसमें मूल रूप से मध्य हिमालय और खूब हिमालय क्षेत्र जो भूकंप के लिए अधिक प्रवण है क्योंकि यह दो  अभी सारी प्ले टीमों के पास स्थित है जो लगातार एक दूसरे की ओर बढ़ रही हैं|

हिमालय क्षेत्र में अत्यधिक पर्यटन को  भूकंप अत्यधिक बर्फ जमा इत्यादि के कारण भूस्खलन  हिमस्खलन इत्यादि घटनाएं घटित होती हैं|  दक्षिण भारत के हिंद महासागर से जुड़े होने के कारण इसके क्षेत्रों में चक्रवात तूफान सुनामी इत्यादि की  अधिक संभावनाएं रहती है|

Disaster Management in Hindi

भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है|  मानसून भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति के कारण एक विशिष्ट विशेषता है|  मानसून की अधिकता पर भारतीय नदियों में जल की अधिकता हो जाती है,  जिद्दी आपदा जन्म लेती है वहीं जब मानसून कमजोर होता है तो भारत में वर्षा कम होने की वजह से नदियों में जल की कमी हो जाती है तथा भारत में सूखे जैसी आपदा का जन्म होता है,  जिससे भारतीय कृषि की उत्पादकता कम हो जाती है और  कृषक आत्महत्या जैसी घटनाएं होती हैं| 

भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अवस्थित होने के कारण गर्मियों में यहां का तापमान अधिक रहता है जिससे यहां हीटवेव की स्थिति रहती है इस कारण भी हजारों लोगों की जान चली जाती है|  भारत की प्राकृतिक बनावट,  उच्चावच इत्यादि के कारण भी वृष्टि छाया प्रदेश,  रेगिस्तान इत्यादि का निर्माण हुआ है जोकि आपदा प्रवणता  को बढ़ावा देते हैं|  उपर्युक्त विवरण इस  निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है  हार अपनी अवस्थिति के कारण ही आपदाओं के प्रति प्रवण  क्षेत्र हो जाता है|

आपदा प्रबंधन पर खर्च किए गए प्रत्येक डॉलर से आपदा होने वाले लगभग $3 की क्षति को रोका जा सकता है| यही कारण है कि हाल के वर्षों में भारत में आपदा प्रबंधन नीति में आमूल परिवर्तन किया गया है तथा राहत केंद्रित नीति के स्थान पर आपदाओं के कुशल प्रबंधन पर बल दिया जा रहा है|

  •  भारत में अलग-अलग तीव्रता वाली अनेक प्राकृतिक और मानव जन्म आपदाएं आती रहती हैं| लगभग 60% भूभाग सामान्य से लेकर बहुत अधिक तीव्रता वाला भूकंप संभावित क्षेत्र है; 40 मिलीयन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र (12.5%)  बाढ़  और नदी अपरदन  संभावित क्षेत्र है; 7530  किमी. तटीय क्षेत्र में से लगभग 5750 किमी. क्षेत्र चक्रवात और सुना भी संभावित है; 69%  कृषि योग्य क्षेत्र सूखा संभावित है और पहाड़ी क्षेत्रों में  भूस्खलन और हिमस्खलन  का  जोखिम बना रहता है| आपदाओं/  रासायनिक,  जैविक,   विकिरण  और नाभिकीय(CBRN-Chemical, Biological, Radiological and Nuclear) आपात स्थितियों/आपदाओं की संभावना भी रहती है|
  •  आपदा जो कि अत्यधिक  सुभेधदाताओं जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और औद्योगीकरण, उच्च जोखिम क्षेत्रों में विकास पर्यावरण असंतुलन और जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा  सकता है|
  •  आपदाओं के प्रति मानवीय सुभेधदता के संदर्भ में समाज के आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं|  संवेदनशील समूहों में वृद्ध व्यक्तियों, महिलाओं, बच्चों- विशेष रूप से आपदाओं के कारण निराश्रित महिलाओं और अनाथ बच्चों तथा  विभिन्न क्षमताओं के व्यक्तियों को   अधिक खतरा होता है|
  •  23 दिसंबर 2005 को भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम,  2005 अधिनियम करके उचित कदम उठाया|  अधिनियम में आपदा प्रबंधन का नेतृत्व और उसके प्रति एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA- National Disaster Management Authority) मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और कलेक्टर अथवा जिला मजिस्ट्रेट अथवा उपायुक्त, जैसा भी मामला हो, की अध्यक्षता में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(DDMA-District Disaster Management Authority) के गठन की परिकल्पना की गई थी विकास संबंधी लाभों को बनाए रखने तथा जीवन, आजीविका और संपत्ति के नुकसान को कम करने के लिए राहत- केंद्रित कार्रवाई के पहले किस दृष्टिकोण के स्थान पर अब  सक्रिय रोकथाम, समन और तैयारी आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा| 

आपदा प्रबंधन के लिए उपाय (Measures for Disaster Management in Hindi)

  1. जागरूकता बढ़ाना: आपदा प्रबंधन के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है जागरूकता को बढ़ाना। लोगों को आपदा के बारे में जागरूक बनाने के लिए सरकार, स्थानीय निकाय और सामुदायिक संगठनों को मिलकर अधिक से अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।
  2. आपदा प्रबंधन योजना तैयार करें: आपदा प्रबंधन योजना तैयार करना महत्वपूर्ण है। यह योजना विभिन्न आपदा स्थितियों के लिए उचित उपायों और कार्रवाईयों का निर्धारण करेगी। सरकार, स्थानीय निकाय और सामुदायिक संगठनों को इस योजना को संशोधित और अद्यतित रखने की जिम्मेदारी होनी चाहिए।
  3. अप्रत्याशितता की क्षमता विकसित करें: आपदाओं के समय अप्रत्याशितताओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए, लोगों को अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार और सजग रहना चाहिए। यह सुरक्षा प्रशिक्षण, आपदा सेंटरों का स्थापना, सड़क सुरक्षा, अलर्ट सिस्टम आदि के माध्यम से किया जा सकता है।
  4. आपदा के समय सहायता प्रणाली विकसित करें: सरकार और स्थानीय निकायों को आपदा के समय सहायता प्रणाली को सक्षम और तत्पर बनाए रखना चाहिए। यह शामिल हो सकता है सुरक्षा बल, चिकित्सा सुविधाएं, खाद्य आपूर्ति, जल आपूर्ति, आवास आपूर्ति, अस्पतालों और रास्तों का निर्माण आदि के विकास को संबंधित कर सकता है।
  5. सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा दें: सामुदायिक सहयोग आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण है। इसके लिए, सरकार को सामुदायिक संगठनों, स्थानीय निकायों, युवा संगठनों, महिला समूहों आदि को अधिक सहयोग और सहभागिता के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  6. तकनीकी उपयोग: तकनीकी उपायों का उपयोग आपदा प्रबंधन को मजबूत और प्रभावी बना सकता है। इसमें समुद्री तट सतर्कता सिस्टम, सटीक मौसम पूर्वानुमान, आपदा संकेतक, विमान रणनीति, जल संरक्षण तकनीक आदि शामिल हो सकते है

Disaster Management Questions and Answers PDF in Hindi

Disaster Management FAQ.


आपदा प्रबंधन का क्या अर्थ है?

आपदा प्रबंधन का अर्थ होता है विपद् या आपदा से होने वाले हानिकारक प्रभावों को पहले से योजनित करना, उनकी पहचान करना, उनकी प्राक्तिकता का मूल्यांकन करना और उनको न्यूनतम करने के लिए उचित कार्रवाई करना।

आपदा प्रबंधन कितने प्रकार के होते हैं?

आपदा प्रबंधन मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: पूर्वानुमानित प्रबंधन, संघटित प्रतिक्रिया प्रबंधन, और अनुकूलन प्रबंधन।

आपदा प्रबंधन की चार मुख्य बातें क्या क्या है?

आपदा प्रबंधन की चार मुख्य बातें हैं:

पूर्वानुमान: यह आपदा के प्राक्कटिक होने की संभावनाओं का विश्लेषण करता है और उनके लिए तैयारी कार्यक्रम बनाता है।

संघटित प्रतिक्रिया: यह आपदा के समय त्वरित और संगठित रूप से प्रतिक्रिया का निर्देशन करता है और आपदा के दौरान जरूरी संसाधनों का प्रबंधन करता है।

अनुकूलन: यह व्यक्तियों, संगठनों, और समुदायों को आपदा के प्रभावों के साथ तब्दील होने के लिए तैयार करता है और उन्हें आपदा के बाद सुरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए कार्रवाई करता है।

पुनर्गठन: यह आपदा के बाद नाश हुए संरचनाओं और सामाजिक नेटवर्कों को पुनर्गठित करने के लिए कार्य करता है।

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